दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को यमुना किनारे गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा की। इस कार्यक्रम को उन्होंने पूरी दिल्ली की जनता का कार्यक्रम बना दिया। इस कार्यक्रम का कई राष्ट्रीय चैनलों पर सजीव प्रसारण किया गया।
इसके पूर्व भी केजरीवाल ने दिवाली पूजा कार्यक्रम को एक उत्सव बनाकर टीवी चैनलों पर सजीव प्रसारण कराया था। माना जाता है कि इस तरह वे समाज के बहुसंख्यक हिंदू वर्ग को यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि उनकी राजनीति किसी वर्ग विशेष के तुष्टीकरण पर आधारित नहीं है। पूजा के साथ-साथ वे मुस्लिम समुदाय के कार्यक्रमों में शिरकत कर उन्हें भी साथ ले लेते हैं। अंबेडकर के नाम पर विशेष कार्यक्रम कर अजा-जजा समुदाय को अपने साथ लेते हैं तो बच्चों के लिए देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू कर राष्ट्रवाद के पैमाने पर भी खरा उतरते हैं। क्या अरविंद केजरीवाल राजनीति में एक बड़ी लकीर खींचने की कोशिश कर रहे हैं?
पार्टी के एक नेता के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक जीवन ही नहीं, इसके पहले के समय को भी देखें तो एक एक्टिविस्ट के रूप में भी वे समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलते रहे हैं। लोकपाल आंदोलन में भी समाज के हर वर्ग के युवा उनके साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़ा था। उनके कार्यक्रम में हमेशा समाज में सबको साथ लेकर चलने वाले की रही है। उनके मुताबिक अरविंद केजरीवाल की सफलता का सबसे बड़ा कारण भी अगर देखा जाए तो यही है कि उनके अंदर समाज के हर वर्ग के लोगों को एक साथ जोड़कर चलने की क्षमता है।
अरविंद केजरीवाल जिन कार्यक्रमों को भी लागू करते हैं, उनके केंद्र में समाज के हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं। उनकी योजनाएं कभी किसी वर्ग विशेष के लिए केंद्रित नहीं होतीं। उनकी राजनीति का सिद्धांत है कि सांप्रदायिकता की सोच ने इस देश को पहले ही बहुत नुकसान कर दिया है, अब राजनीति की नई पारी की शुरूआत की जानी चाहिए जो बच्चों की शिक्षा, अच्छी बेहतर व्यवस्था और विकास पर आधारित हो। यही कारण है कि समाज के हर वर्ग से उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है।
क्यों कर रहे ऐसा दरअसल, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी तेजी से राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका बढ़ाने के लिए काम कर रही है। उसके नेता अपने भाषणों में बार-बार भाजपा के मुकाबले स्वयं को विकल्प के तौर पर पेश करते हैं। उन्हें मालूम है कि अगर राष्ट्रीय राजनीति में लंबी दूरी तय करनी है तो उन्हें सबको साथ लेकर चलना होगा। किसी जाति-धर्म विशेष का ठप्पा लगते ही किसी भी राजनीतिक दल की एक सीमा निर्धारित हो जाती है। यही कारण है कि वे हर समाज, हर जाति के समर्थन की बात करते हुए दिखाई पड़ते हैं।
पार्टी नेता के मुताबिक, कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर सबसे मजबूत पार्टी थी, लेकिन उसके ऊपर भाजपा ने जानबूझकर मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने का ठप्पा चिपकाने का प्रयास किया जो धीरे-धीरे उसके साथ जुड़ता चला गया। आज कहीं न कहीं कांग्रेस को इसका राजनीतिक नुकसान भुगतना पड़ रहा है। आम आदमी पार्टी इसी तरह की कोई ठप्पा अपने साथ नहीं चिपकने देना चाहती, लिहाजा वह पहले से ही सतर्क है और समय-समय पर यह संदेश देने की कोशिश भी करती है। गणेश पूजा और दिवाली पूजा इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
भाजपा नेता ने किया पलटवार वहीं, बीजेपी दिल्ली की प्रवक्ता नेहा शालिनी दुआ ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति दिखाने की अलग और असलियत में अलग होती है। उन्होंने कहा कि वे बात तो राष्ट्रीयता, सर्वधर्मसमभाव वाली कहते हैं, लेकिन असलियत में वे एक वर्ग विशेष का तुष्टीकरण करते हैं। वे मौलवियों को आर्थिक सहायता के नाम पर हर महीने वेतन देते हैं, लेकिन हिंदू हो या बौद्ध, किसी अन्य धर्म के पुजारियों को यही सुविधा नहीं देते।
उन्होंने कहा कि वे हज हाउस तो बनवाते हैं, लेकिन हिंदू-बौद्ध या ईसाई समुदाय के लोगों के लिए कोई निर्माण नहीं करते। वे राष्ट्रवाद की बात करते हैं, लेकिन कश्मीर की आजादी की बात करने वाले लोगों को समर्थन देते हैं, क्या इसे राष्ट्रवाद कहेंगे। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति की कलई खुल चुकी है और जनता अब उनकी असलियत पहचानती है।