भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को लोकसभा और राज्यसभा के अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया। इसमें उनसे शनिवार को संसद में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। बताया जा रहा है कि दोनों सदनों में कुछ महत्वपूर्ण विधायी कार्यों पर चर्चा होनी है।
व्हिप में कहा गया, ‘लोकसभा और राज्यसभा के सभी बीजेपी मेंबर्स को सूचित किया जाता है कि 10 फरवरी, 2024 को दोनों सदनों में कुछ बड़े महत्वपूर्ण विधायी व्यवसाय पर चर्चा होनी है और इन्हें पारित किया जाना है। इसलिए लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा के सभी सदस्यों से अपील है कि शनिवार को पूरे दिन सदन में उपस्थित रहें और सरकार के रुख का समर्थन करें।’ मालूम हो कि लोकसभा और राज्यसभा के लिए भाजपा की ओर से यह व्हिप अलग-अलग जारी किया गया है।
संसद ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर से संबंधित 3 विधेयकों मंजूरी दे दी, जिनमें केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में OBC को आरक्षण देने व वाल्मीकि समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रावधान शामिल हैं। राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पंचायती राज विधेयक (संशोधन) विधेयक, संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जातियां आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 और संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक पर एकसाथ चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने विधेयकों पर हुई चर्चा के जवाब दिए और फिर उसके बाद इन्हें उच्च सदन ने मंजूरी दी।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर संसद में व्हाइट पेपर
इससे पहले, सरकार की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था पर संसद में गुरुवार को श्वेतपत्र पेश किया गया। इसमें कहा गया कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को विरासत में स्वस्थ अर्थव्यवस्था मिली थी लेकिन उसने 10 साल में उसे पंगु बना दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस श्वेतपत्र की प्रतियां दोनों सदनों में प्रस्तुत कीं। इस पर चर्चा इसी सत्र में बाद में कराई जा सकती है। श्वेतपत्र में कहा गया कि संप्रग के समय देश में महंगाई दर 10 प्रतिशत से ऊंची बनी हुई थी और बैंकिंग क्षेत्र कमजोर हो गया था। इसमें कहा गया कि संप्रग सरकार के समय के अन्य वृहद आर्थिक आंकड़े दर्शाते हैं कि उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी। इससे देश की छवि खराब हुई और निवेशकों का विश्वास डगमगा गया था।