कोरोनावायरस (Coronavirus) ने एक ओर जहां अपना स्वरूप बदल लिया है, वहीं इसने इंसानी शरीर पर मार करने की क्षमता भी बढ़ा ली है। शोधकर्ताओं की मानें तो कोरोना से ठीक होने के बाद भी छह महीने तक मौत का जोखिम बना रहेगा। यह जोखिम उन लोगों को भी होगा, जिन्हें कि कोरोना संक्रमित होने के बावजूद अस्पताल में भर्ती करने की नौबत न पड़ी हो।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी (Washington University) में स्कूल ऑफ मेडिसिन के अध्ययनकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि कोरोना महामारी का असर आने वाले सालों में भी दुनियाभर की आबादी पर दिखाई देगा। नेचर पत्रिका में गुरुवार को प्रकाशित शोध में अध्ययनकर्ताओं ने कोरोना से जुड़ी तमाम बीमारियों की एक सूची भी उपलब्ध कराई है। शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोनावायरस हर अंग-तंत्र को प्रभावित कर सकता है और इसका असर लंबे समय तक दिखाई देगा। अध्ययन में करीब 87000 कोरोना संक्रमित मरीज और करीब 50 लाख ऐसे लोगों को शामिल किया गया था, जो कि इस महामारी से उबर चुके थे।
शोधकर्ता प्रोफेसर जियाद अल-अली के मुताबिक अध्ययन में पता चला कि कोरोना संक्रमण से उबरने के 6 महीने बाद भी मौत का जोखिम कम नहीं है। ऐसे में चिकित्सकों को उन मरीजों की जांच करते हुए बेहद सजग रहना चाहिए जो कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से उबरे मरीजों में सांस की समस्या, अनियमित दिल की धड़कन, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।
किसे कितना खतरा
शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों में पहले छह महीने के दौरान आम आबादी के मुकाबले मौत का जोखिम 60 प्रतिशत तक ज्यादा होता है। ऐसे कोरोना संक्रमित मरीज जो अस्पताल में भर्ती कराने के बाद शुरुआती 30 दिनों में ठीक हो जाते हैं, उनमें अगले छह महीनों में प्रति 1000 मरीजों की मौत की तुलना में 29 मौतें ज्यादा होती है। शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि अगर कोरोना संक्रमण से उबर चुके मरीजों की उचित देखभाल नहीं की जाती तो यह लापरवाही पूरी दुनिया की आबादी को लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है।