पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली के सांसद डॉ. हर्षवर्धन की कुर्सी दरअसल अचानक नहीं गई। डॉ. हर्षवर्धन की कुर्सी पिछले साल कोरोना की पहली लहर में ही हिलने लगी थी, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिगड़े हालातों में दिल्ली में अस्पताल-अस्पताल जाकर जाकर खुद मोर्चा संभाला था। लेकिन उस वक्त हालात कोरोना महामारी से निपटने के ज्यादा थे न कि राजनीतिक उठापटक के। लेकिन जिस तरीके से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूरी तरीके से कोरोना से निपटने की कमान अपने हाथ में ले ली थी उससे इस बात की आशंका जरूर पैदा हो रही थी कि मंत्रिमंडल फेरबदल में हर्षवर्धन की कुर्सी जानी तय है।
पिछले साल आई कोरोना की पहली लहर हर्षवर्धन को लेकर डूब गई। दरअसल जब देश में कोरोना ने केरल से दस्तक दी तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय उतना अलर्ट नहीं हुआ जितनी उम्मीद जताई जा रही थी। जब फरवरी और मार्च में मामले अचानक बढ़ने लगे और कोरोना ने देश की राजधानी को भी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले लिया तो मंत्रालय के आला अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे। मामला बिगड़ते देख अमित शाह ने न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश में हालातों पर बारीक नजर रखनी शुरू कर दी। शाह ने दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में लगातार कई दिनों तक जाकर हालातों को परखा और पूरी कमान एक तरह से अपने हाथ में ले ली।
देश की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एसएन कोहली कहते हैं मामला उसी वक्त बिगड़ने लगा था। वह कहते हैं देश में किसी भी तरीके के बिगड़ते हालातों पर नजर रखना केंद्रीय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारियों में शामिल है लेकिन जिसके लिए गृह मंत्री अमित शाह ने कमान अपने हाथ में संभाली वह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का ही पूरी तरीके से मामला था और तभी से यह माना जाने लगा था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरीके से नहीं निभा पा रहे हैं। यह एक बड़ी वजह रही कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मैदान में आकर बागडोर संभाली पड़ी।
डॉ. हर्षवर्धन सिर्फ कोरोना वायरस की पहली लहर में ही बुरी तरीके से फेल नहीं हुए बल्कि दूसरी लहर में उनका लचर प्रबंधन खुलकर सामने आ गया। हालात यह हो गए कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी कोरोना की रोकथाम और उसे पैदा होने वाले हालातों के लिए लगातार निगरानी करनी पड़ी। सूत्रों के मुताबिक पहली लहर के बाद जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इस बात की जानकारी थी कि दूसरी लहर आएगी और भयावह भी होगी तो इतनी तैयारियां क्यों नहीं की गईं। सूत्रों के मुताबिक यही वजह है जो दिल्ली के सांसद हर्षवर्धन के ऊपर भारी पड़ी और उनको एक बेहद महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा देना पड़ा।