दूसरे देशों से कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन में जीनोमिक भिन्नता और संरचनात्मक बदलाव की सूचना मिली है, लेकिन अभी इसकी जांच चल रही है कि क्या परिवर्तन इसकी प्रसार क्षमता बढ़ाएंगे और टीकों को अप्रभावी कर देंगे। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के वरिष्ठ विज्ञानी डा. समीरन पांडा ने शनिवार को यह बात कही।हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आशंका जताई है कि इस नए वैरिएंट के खिलाफ मौजूदा टीके शायद ही मजबूत प्रतिरक्षा पैदा कर पाएं। उसका कहना है कि अभी तक जो वैक्सीन विकसित की गई हैं वो वायरस के स्पाइक प्रोटीन से मुकाबला करने के लिए हैं, जबकि नए वैरिएंट के वायरल जीनोम में संरचनात्मक बदलाव की सूचना है।आइसीएमआर के महामारी एवं संचारी रोग विभाग के प्रमुख डा. पांडा ने कहा कि हमें यह जानने के लिए अभी इंतजार करना होगा कि यह वैरिएंट कितना संक्रामक है और आबादी को यह किस हद तक प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि भारत और अन्य देशों में लगाई जा रही कोवैक्सीन और कोविशील्ड अभी तक वायरस के बदले वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाई गई हैं। ये वैक्सीन नए वैरिएंट (बी.1.1.529) के खिलाफ भी काम करेंगी या नहीं यह कुछ समय बाद ही पता चल पाएगा।डा. पांडा ने कहा कि नए वैरिएंट से मुकाबले के लिए एमआरएनए वैक्सीन में कुछ बदलाव करना पड़ सकता है। हालांकि, यह भी तभी हो पाएगा जब नए वैरिएंट के बारे में और जानकारी मिलेगी।