नई दिल्ली, 13 मई। देश में विशेषज्ञों के एक पैनल कोरोना वायरस के खिलाफ दी जा रही कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज में अंतर को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने की सिफारिश की है। अभी तक यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दोनों डोज में 12 सप्ताह का अंतर रखने को कहा है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल की अध्यक्षता में कोविड टीकाकरण की निगरानी कर रहे विशेषज्ञों के नेशनल पैनल ने सरकार को ये सलाह दी है जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है।
इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि जो लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हुए हैं उन्हें रिकवरी के छह महीने बाद वैक्सीन लेनी चाहिए।
फैसले पर उठ रहे सवाल
सरकार के वैक्सीनेशन की डोज बढ़ाने के फैसले को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। दरअसल सरकार ने विशेषज्ञों के पैनल की सलाह पर जिस वैक्सीन की डोज में अंतर को बढ़ाया है वह एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन है जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड के नाम से तैयार कर रही है। खास बात यह है कि 12 से 16 सप्ताह बढ़ाने के पहले इसे लेकर कोई क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया गया है। यही वजह है कि वैक्सीन मामलों के जानकार इस फैसले के पीछे मेडिकल नहीं बल्कि वैक्सीन की कमी को कारण बता रहे हैं।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने कोविड-19 के लिए बनी टास्क फोर्स के हवाले से लिखा है कि यह सिफारिश पहले स्वीकार नहीं की गई थी लेकिन अब इसे 12 सप्ताह से आगे बढ़ा दिया गया है। इसे अंतरराष्ट्रीय मापदंडों (12 सप्ताह) से आगे करने के पीछे सिवाय देश में वैक्सीन की कमी के कोई वैज्ञानिक तर्क नजर नहीं आता है।
अभी तक क्या है अंतर?
अब तक भारत में कोविशील्ड की दो डोज के बीच 4-8 सप्ताह का अंतर रखने की सलाह दी गई थी। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फरवरी में पाया था कि दो टीकों में 12 सप्ताह का अंतर रखने पर यह ज्यादा प्रभावी होती है जिसके बाद दोनों डोज में 12 सप्ताह का अंतर रखने की सलाह जारी की गई थी।