किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए एक वर्ष का समय और बचा है, लेकिन लक्ष्य अभी दूर है। कोरोना काल की इन विकट परिस्थितियों में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बेहतर रहा, इसके बावजूद यह अपेक्षित रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। हालांकि किसानों की आमदनी को दोगुना करने को लेकर केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर बड़े कदम उठाए हैं। इनमें खेती की लागत में कमी लाने और उसकी उपज का उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया गया है। खेती में पैदावार के साथ आमदनी बढ़ाने पर पूरा जोर दिया गया। हालांकि कृषि सुधारों के कानूनों पर बढ़े विवाद से भी किसानों की डबल इनकम की मंजिल दूर हुई है।
आमदनी को वर्ष 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य
वर्ष 2016-17 के आम बजट में सरकार ने किसानों की दशा सुधारने के लिए उनकी आमदनी को वर्ष 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। किसानों की आमदनी के लिए वर्ष 2015-16 को आधार वर्ष मानकर नेशनल सैंपल सर्वे आफ इंडिया के अनुमान को लक्षित किया गया। उसके मुताबिक 2015-16 में मूल्यों के आधार पर किसानों की प्रति वर्ष औसत आमदनी 96,703 रुपये आंकी गई थी। उसे अगले छह वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिसके लिए मात्र वर्षभर का समय बचा है। लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में पूछे गए एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि किसानों की आमदनी को लेकर अभी कोई ताजा सर्वेक्षण नहीं कराया गया है।
‘डबलिंग फार्मर्स इनकम’ यानी किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए वर्ष 2016 में ही एक उच्च स्तरीय अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था। दो वर्षो बाद उसकी रिपोर्ट आई, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि इस लक्ष्य को पाने के लिए कृषि की वार्षिक विकास दर अनवरत 10.4 फीसद रहना जरूरी होगा। लेकिन वर्ष 2020-21 में कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.4 फीसद आंकी गई है।
सरकार ने इस दिशा में कई लगातार प्रयास भी शुरू किए
आमदनी को दोगुना करने के लिए सरकार ने इस दिशा में कई लगातार प्रयास भी शुरू कर दिए। वर्ष 2013-14 में कृषि का बजट जहां मात्र 21,933 करोड़ रुपये था, वह वर्ष 2020-21 में 5.5 गुना बढ़कर 1,23,018 करोड़ रुपये पहुंच गया। सरकार का पूरा दबाव उत्पादकता के साथ पैदावार बढ़ाने और आमदनी में वृद्धि पर रहा। इसके लिए वर्ष 2018 में ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 50 फीसद की वृद्धि घोषित कर दी गई। दलहन का एमएसपी 95.93 गुना और तिलहनी फसलों का 10.80 गुना बढा दिया गया। देश के हर क्षेत्र के किसानों को नकद सहायता के रूप में उसके बैंक खाते में सालाना 6,000 रुपये पीएम-किसान सम्मान निधि से दिया जाने लगा। फसलों को आपदाओं से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 23 करोड़ किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इनमें से 7.6 करोड़ किसानों को उनकी फसलों के मुआवजे के रूप में 17,000 करोड़ रुपये प्रीमियम के मुकाबले 91,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
कृषि कानूनों पर विवाद से मंजिल हुई दूर
खेती में इनपुट के रूप में कृषि कर्ज जहां 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये दिया जाते थे, उसे 2020-21 में बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। कृषि क्षेत्र को मजबूत बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। किसानों के सायल हेल्थ कार्ड और सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत पांच हजार करोड़ रुपये की अलग मंजूरी दी गई है। कृषि सुधार के कानून पारित कराए गए जो विवादों के चलते ठीक नहीं हो पा रहे हैं। इससे भी लक्ष्य दूर होने लगा है।