फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) 16 जून को रिलीज होगी। फिल्म के ट्रेलर में कई ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जो काफी रोमांचक है। फिल्म में रामसेतु बनाते हुए भी दिखाया गया है।
रामसेतु का वर्णन वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) और श्रीरामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) के साथ-साथ अन्य कई ग्रंथों में भी मिलता है। रामसेतु के अवशेष आज भी दक्षिणी समुद्र तट पर देखे जा सकते हैं। आज हम आपको रामसेतु बनने की पूरी कथा बता रहे हैं.
श्रीराम को किसने दी थी रामसेतु बनाने की सलाह?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब श्रीराम को हनुमान ने बताया कि देवी सीता को राक्षसों के राजा रावण ने लंका नगरी में कैद किया हुआ तो वे तुरंत वानरों और भालुओं की सेना लेकर लंका नगरी पर आक्रमण करने निकल पड़े। दक्षिण के समुद्र तट पर आकर उन्होंने विशाल समुद्र को देखा तो कई दिनों समुद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की, जब समुद्र देव नही आए तो श्रीराम ने उसे सुखाने का निर्णय लिया। तभी समुद्र देवता प्रकट हुए और उन्होंने श्रीराम को पुल बनाने की सलाह दी।
कौन थे देवशिल्पी विश्वकर्मा के पुत्र, जिन्होंने डिजाइन किया रामसेतु?
समुद्र देवता ने ही श्रीराम को बताया कि आपकी वानर सेना मे नल-नील नामक के दो वानर हैं जो देवशिल्पी विश्वकर्मा के पुत्र हैं, वे समुद्र पर पुल बनाने की कला जानते हैं। तब श्रीराम के आदेश पर ही नल-नील ने समुद्र पर पुल बनाने की योजना बनाई और उसी के अनुसार सभी ने कार्य किए। देखते ही देखते 5 दिनों में असंभव सा दिखने वाला कार्य भी पूरा हो गया ।
किस दिन, कितना योजन बना रामसेतु?
वाल्मीकि रामायण में रामसेतु के बनने का पूरा वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, वानर सेना को समुद्र पर पुल बनाने में कुल 5 दिन का समय लगा। पहले दिन 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। 5 दिनों में कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया। यह पुल 10 योजन चौड़ा था। इसी पुल पर चलते हुए श्रीराम की सेना ने विशाल समुद्र को पार किया।