हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत किया जाता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था. कहते हैं कि काल बैरव भगवान की पूजा करने से भक्त को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है. इस साल काल भैरव जयंती 27 नवंबर के दिन मनाई जा रही है. काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं. कहते हैं कि पूजा के दौरान लोगों को व्रत मंत्र और आरती अवश्य करनी चाहिए. ऐसा करने से काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
Kaal Bhairav Mantra Jaap काल भैरव व्रत मंत्र
शिवपुराण में कालभैरव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप करना फलदायी माना गया है।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
अन्य मंत्र:
ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
श्री भैरव जी की आरती (Kaal Bhairav Aarti)
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।