श्रीनगर और कश्मीर के अन्य हिस्सों में इस मौसम की सबसे सर्द रात रही और घाटी में तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे दर्ज किया गया, जिसके कारण जलापूर्ति लाइन और कई जलाशयों में कहीं-कहीं पानी जम गया। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि श्रीनगर में शुक्रवार रात तापमान शून्य से छह डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो इससे पहले की रात में दर्ज किए गए शून्य से 3.8 डिग्री सेल्सियस नीचे की तुलना में 2.2 डिग्री कम है। उन्होंने बताया कि शहर में यह सीजन की अब तक की सबसे सर्द रात रही और न्यूनतम तापमान इस मौसम के औसत तापमान से 4.5 डिग्री कम दर्ज किया गया। उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के गुलमर्ग रिसॉर्ट में तापमान शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। यहां घाटी में सबसे कम तापमान रहा। अधिकारियों ने बताया कि वार्षिक अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर पहलगाम में तापमान शून्य से 8.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों ने आगामी कुछ दिनों में रात में तापमान और गिरने की संभावना जताई है। घाटी में 23 दिसंबर से 25 दिसंबर तक हल्की से भारी बर्फबारी होने की संभावना है।दूसरी ओर कश्मीर में भूमि उपयोग कानून में बदलाव करने पर पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आड़े हाथो लेते हुए दावा किया कि नई नीति का केंद्र शासित प्रदेश पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि कृषि भूमि को गैर-कृषि उद्देश्यों में बदलने की इजाजत देने वाला नया कानून जम्मू-कश्मीर में जनसांख्यिकीय बदलाव की साजिश को सामने लाता है। उन्होंने ट्वीट किया, “विकास का एजेंडा एक बहाना है। नए नियमों में पहली शर्त के तौर पर 15 साल के अधिवास प्रमाण पत्र भी जरूरी नहीं है।” वह भूमि उपयोग कानूनों में सरकार द्वारा किए गए बदलाव पर प्रतिक्रिया दे रही थी जो गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए कृषि भूमि के उपयोग की अनुमति देता है। उन्होंने कहा, “स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में उनके वाजिब हिस्से से महरूम करने के बाद, ऐसे अचानक नीतिगत फैसले बाहरी लोगों के लिए जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का मार्ग प्रशस्त करते हैं और केवल स्थानीय लोगों को और कमजोर करने के वास्ते लिए गए हैं।” उधर, नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भूमि उपयोग नियमों में बदलाव पूर्ववर्ती राज्य में किए गए बड़े सुधारों को निष्प्रभावी कर देगा। उन्होंने कहा कि गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए कृषि भूमि के उपयोग की अनुमति देना जम्मू-कश्मीर में भूमि सुधार को और एक आघात है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक भूमि सुधार गरीबी को कम करने में प्रमुख कारण रहा है। अब्दुल्ला ने कहा कि भूमि उपयोग को बदलने की इजाजत देने से जम्मू-कश्मीर के लोगों की खाद्य सुरक्षा को भी खतरा होगा। माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने भी भूमि उपयोग कानूनों में किए गए बदलावों की आलोचना की।