धर्म ग्रंथों में अधिक मास को स्नान, दान, पूजा आदि के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। भगवान विष्णु इस मास के स्वामी है, इसलिए उन्हीं के नाम पर इस महीने का नाम पुरुषोत्तम रखा गया है।
वैसे तो अधिक मास हर तीसरे साल आता है, लेकिन इस बार सावन के अधिक मास का संयोग 19 साल बाद बना है। इसके पहले सावन का अधिक मास साल 2004 में आया था। अधिक मास की पूर्णिमा तिथि बहुत ही शुभ मानी गई है। इस बार सावन अधिक मास की पूर्णिमा पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं। आगे जानिए कब है सावन अधिक मास की पूर्णिमा.
इस दिन है सावन अधिक मास की पूर्णिमा
पंचांग के अनुसार, सावन अधिक मास की पूर्णिमा तिथि 31 जुलाई, सोमवार की रात 03:52 से 1 अगस्त, मंगलवार की रात 12:01 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 1 अगस्त को होगा, इसलिए इसी दिन सावन अधिक मास की पूर्णिमा तिथि मानी जाएगी। पूर्णिमा से संबंधित पूजा, उपाय, उपवास आदि इसी दिन किए जाएंगे।
कौन-कौन से योग बनेंगे इस दिन?
1 अगस्त को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से पद्म नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन प्रीति और आयुष्मान नाम के 2 अन्य शुभ योग भी रहेंगे। इस दिन सिंह राशि में बुध और शुक्र ग्रह एक साथ रहेंगे। इन दोनों ग्रहों की युति से लक्ष्मी नारायण नाम का योग बनेगा। सावन अधिक मास की पूर्णिमा पर इतने सारे शुभ योग होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
भगवान शिव-विष्णु की पूजा का शुभ योग
सावन मास भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है और अधिक मास भगवान विष्णु की पूजा के लिए। इस मास की पूर्णिमा तिथि पर इन दोनों देवताओं की पूजा करने का विशेष शुभ फल मिलता है। सावन पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करवाएं और शिवजी को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक करें। इस तरह एक ही दिन इन दोनों देवताओं की पूजा से हर मनोकामना पूरी हो सकती है।