हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन धूमावती जयंती खास मानी गई हैं जो कि पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती हैं इसे धूमावती जयंती के नाम से जाना जाता हैं।
माना जाता हैं कि इसी दिन शिव शंकर की पत्नी देवी सती से 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति हुई थी।
इन्हीं में से एक मां धूमावती भी हैं जो कि सातवीं महाविद्या है और इन्हें अलक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां धूमावती की पूजा आराधना से संतापों का नाश हो जाता हैं और रोग दरिद्रता से भी मुक्ति मिलती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा धूमावती जयंती से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हौं।
तारीख और मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार इस साल धूमावती जयंती 28 मई को पड़ रही हैं इस बार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 27 मई को सुबह 7 बजकर 43 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 28 मई को सुबह 9 बजकर 57 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। ऐसे में 28 मई को मां धूमावती की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।
जानिए पूजन विधि-
आपको बता दें कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें इसके बाद गृहस्थल लोग मां को आक के पुष्प, सफेद वस्त्र,केसर, अक्षत, घी, सफेद तिल, धतूरा, आक, जौ, सुपारी, दूर्वा, गंगाजल, शहद, कपूर, चंदन, नारियल, पंचमेवा चढ़ाएं। इसके बाद ‘ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा’ माता के मंत्र का रुद्राक्ष माला से जाप करें। माना जाता है कि देवी पूजा में अगर इस मंत्र से 108 बार राई में नमक मिलाकर हवन में आहुति दी जाए तो शत्रुओं का नाश हो जाता हैं इसके अलावा धूमावती जयंती पर नीम की पत्तियों और घी का होम करने से कर्ज से छुटकारा मिल जाता हैं।