सनातन धर्म में कुछ ऐसे दिन और महीने होते हैं जो पितरों यानी पूर्वजों को समर्पित होते हैं और इसके देवता पूर्वजों को भी माना जाता हैं। इस दौरान किसी भी तरह को शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता हैं लेकिन इसमें पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण व पिंडदान करना उत्तम माना जाता हैं।
पितरों को समर्पित महीने को पितृपक्ष के नाम से जाना जाता हैं। पितृपक्ष का महीना भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आरंभ हो जाता है और अश्विन मास की अमावस्या पर समाप्त हो जाता हैं। इस महीने में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान करना उत्तम माना जाता हैं।
मान्यता हैं कि श्राद्ध कर्म करके पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता हैं। पितृपक्ष के दौरान जो लोग पितरों के निमित्त श्राद्ध व पिंडदान करते हैं उन पर सैदव पूर्वजों की कृपा रहती हैं जिससे सुख समृद्धि व तरक्की होती हैं लेकिन अगर पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिलती हैं तो इससे जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं साथ ही साथ परिवार में क्लेश, आर्थिक तंगी, तरक्की में बाधा और वंश वृद्धि में परेशानी होती हैं। ऐसे में अगर आप भी पूर्वजों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो इसके लिए पितृपक्ष के दिन बेहद खास हैं तो आज हम आपके इसके आरंभ और समापन की तिथि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू धर्म में श्राद्ध बहुत महत्वपूर्ण होता हैं इन दिनों में व्यक्ति अपने पूर्वजों को याद करते हैं साथ ही उनका अभार भी प्रकट करते हैं मान्यता हैं कि अगर पूर्वज तृप्त होते हैं तो उनका आशीर्वाद पूरे परिवार को मिलता हैं जिससे परिवार में सुख शांति व समृद्धि बनी रहती हैं इस बार पितृपक्ष का आरंभ 29 सिंतबर से हो रहा हैं जो कि 14 अक्टूबर दिन शनिवार यानी की सर्व पितृ अमावस्या पर समाप्त हो जाएगा।