हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन जितिया व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है इसे जीवित्पुत्रिका, जितिया, जिउतिया या ज्युतिया व्रत के नाम से जाना जाता है।
इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए दिनभर का निर्जला उपवास रखती है और पूजा पाठ करती है माना जाता है कि इस दिन व्रत पूजा करने से संतान की बुरी परिस्थितियों में रक्षा होती है इस साल जितिया का व्रत 6 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। तो आज हम आपको जितिया व्रत पूजन की विधि के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जितिया व्रत पूजन की विधि-
आपको बता दें कि जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर पूजन स्थल की अच्छी तरह से साफ सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक छोटा सा तालाब बनाकर पूजा की करें। इसके बाद निर्जला उपवास रखने के बाद जितिया व्रत का पारण तीसरे दिन प्रात: काल पूजा पाठ के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करके करें।
जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए रखती है इस दिन निर्जला उपवास करती है जिसमें एक बूंद भी पानी नहीं ग्रहण किया जाता है मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजन करने से संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।