उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है।
हर साल आषाढ़ माह में यहां भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ विराजमान हैं, जो कि विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण का ही रूप माने जाते हैं। जगन्नाथ का अर्थ होता है जगत के नाथ। रथ यात्रा की शुरुआत हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है। वहीं शुक्ल पक्ष के 11वें दिन जगन्नाथ जी की वापसी के साथ इस यात्रा का समापन होता है। हर साल इस रथ यात्रा में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। देश-विदेश से लोग इस यात्रा में शामिल होने के लिए आते हैं। लोगों का मानना है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से जीवन से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत कब से हो रही है और इसका महत्व क्या है…
कब निकलेगी जगन्नाथ जी की रथ यात्रा
इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 19 जून सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 20 जून को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए जगन्नाथ जी की रथ यात्रा 20 जून 2023, मंगलवार के दिन निकाली जाएगी। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथी को तीनों वापस अपने स्थान पर लाया जाएगा।
क्यों होता है जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन?
हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ (भगवान श्रीकृष्ण) बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी (गुंडीचा) के घर जाते हैं। इस दिन इन्हें तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर किया जाता है। इसके बाद तीनों को रथ यात्रा के जरिए उनकी मौसी के घर यानी गुंडीचा मंदिर में ले जाया जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा का बहुत ही अधिक महत्व है। जगन्नाथ पुरी धाम को मुक्ति का द्वार कहा जाता है। हर साल इस रथ यात्रा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं।
मान्यता है कि जो लोग इस रथ यात्रा में शामिल होकर जगन्नाथ जी के रथ को खींचते है, उन्हें 100 यज्ञों के बराबर फल प्राप्त होता है। इस यात्रा में शामिल होने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में वर्णन है कि आषाढ़ मास में पुरी तीर्थ में स्नान करने से सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य फल प्राप्त होता है और भक्त को शिवलोक की प्राप्ति होती है।