बीते कुछ वक्त में भारत का मिशन मिडिल ईस्ट काफी अच्छा रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने इस मोर्चे पर अहम कामयाबी हासिल की है। लेकिन इजरायल-हमास युद्ध के बाद हालात बदलते नजर आ रहे हैं।
हमास और इजरायल के बीच जारी जंग के बीच दुनिया के अलग-अलग देश इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस बीच भारत के लिए भी हालात डिप्लोमैटिक रूप से बेहद कठिन हो गए हैं। बता दें कि हाल के दिनों में भारत मुस्लिम देशों के बीच अपना कद बड़ा बनाने की कोशिश में जुटा हुआ था। इसके लिए वह क्षेत्रीय सहयोग के साथ-साथ राजनयिक गतिविधियों पर भी फोकस कर रहा था। गौरतलब है कि हमास के इजरायल पर हमले के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट करके इस पर दुख जताया था। हालांकि विदेश मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है। विदेश मंत्री और विदेश मंत्रालय के आधिकारिक हैंडल से केवल पीएम मोदी के ट्वीट को रीट्वीट किया गया है।
विभिन्न देशों की अलग राय
गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच छिड़े संघर्ष को लेकर अलग-अलग राय आ रही है। एक पक्ष हमास के आतंकी हमले को गलत बता रहा है। वहीं, दूसरा पक्ष इजरायल के पलटवार को गलत बता रहा है। इन सबके बीच भारत के रुख को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने जो पोस्ट लिखी है, वह इजरायल को समर्थन देने वाला है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भारत के धुर विरोधी, चीन और पाकिस्तान ने भी हालात पर चिंता जताई है। जहां चीन ने कहा है कि वह इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हिंसा से चिंतित है। वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इजरायल को क्षेत्र में हिंसा फैलाने के लिए दोषी ठहराया है।
खाड़ी देशों में भारत की हालत
बता दें कि करीब एक महीने पहले ही भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपियन यूनियन ने जी-20 सम्मेलन के दौरान इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की थी। इस पहल को चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव प्रोजेक्ट के काउंटर के तौर पर देखा गया था। अब इजरायल और फिलिस्तीन समर्थक हमास के बीच युद्ध भड़क उठा है। हिंसा भड़कने से सऊदी अरब मुश्किल में पड़ गया है। यह ऐसे समय में हुआ है जबकि अमेरिका इजरायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने के लिए मध्यस्थता कर रहा था। ऐसे में हमास का हमला रियाध को एक स्पष्ट संदेश के रूप देखा जा रहा है। उधर सऊदी अरब ने भी इस हिंसा को रोकने की वकालत की है और फिलीस्तीन का पक्ष लिया है। इन सबको देखते हुए अंदेशा है कि महत्वाकांक्षा योजना खटाई में पड़ सकती है।
पीएम मोदी के नेतृत्व में सुधरे हैं रिश्ते
बता दें कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत और सऊदी अरब के संबंध काफी बेहतर हुए हैं। इस दौरान कई द्विपक्षीय दौरे हुए हैं और स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल एग्रीमेंट भी साइन हुए हैं। पीएम मोदी को सऊदी के सर्वोच्च सिविलियन सम्मान से नवाजा जा चुका है। पीएम मोदी की जॉर्डन, ओमान, यूएई, फिलिस्तीन, कतर, इजिप्ट की यात्राओं ने मिडिल ईस्ट में भारत की मौजूदगी को बढ़ाया है। मध्य पूर्व में भारत की प्राथमिकताएं पहले काफी हद तक व्यापार तक ही सीमित थीं। अब यह रणनीतिक और राजनीतिक भी हैं, क्योंकि नई दिल्ली चीन का मुकाबला करने और एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है।