हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बड़ा महत्व है। यह एक ऐसा दिन है जहां आपको कोई भी शुभ काम करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है।इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 22 अप्रैल को बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। आइए जानते हैं उन 5 बड़े कारणों के बारे में जिनके कारण यह पर्व इतना शुभ है।
1 – अक्षय तृतीया पर श्रीहरि विष्णु के अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। उन्होंने ऋषि जमदग्नि और मां रेणुका के घर जन्म लेकर धरती को धन्य किया। भगवान परशुराम अमर है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है।
2 – अक्षय तृतीया पर ही मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं। राजा भागीरथ ने हजारों वर्षों तक कठोर तप किया और अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए शिव कृपा से गंगा को पृथ्वी पर लाए। इस दिन पवित्र और निर्मल गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं।
3 – हिंदू धर्म के अनुसार रसोई में निवास करने वाली माता अन्नपूर्णा का जन्म भी इसी दिन हुआ था। इसलिए इस दिन भंडारे कर गरीबों को खाना खिलाने का विधान है। इस दिन जो भी माता अन्नपूर्णा का पूजन करता है उसके घर में कभी धन धान्य की कमी नहीं होती है।
4 – अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के अंशावतार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत को लिखना शुरू किया था। महाभारत को पंचम वेद की संज्ञा दी गई है। भगवद्गीता भी इसी महाभारत में समाहित है। इसलिए इस दिन गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना चाहिए।
5 – अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर ही पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई। इसकी खासियत यह थी कि इसमें कभी अन्न खत्म नहीं होता था। इसलिए इस दिन से ही किसान रबी की फसल के बाद खाली पड़े खेत को जोतना शुरू करते है।