जम्मू-कश्मीर स्थित पार्टियों से बातचीत के बाद अब केंद्र सरकार ने कारगिल और लद्दाख की पार्टियों और सिविल सोसाइटियों के सदस्यों को 1 जुलाई को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी के आवास पर होने वाली यह बैठक 1 जुलाई सुबह 11 बजे होगी। बैठक में शामिल होने के लिए पूर्व सांसदों और सिविल सोसाइटियों के सदस्यों को भी न्योता भेजा गया है।
बता दें कि गुरुवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ साढ़े तीन घंटे लंबी बैठक हुई थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत राज्य के 14 नेताओं को आमंत्रित किया गया था। इस बैठक में सफल चुनावों के बाद परिसीमन और क्षेत्र में लोकतंत्र की बहाली पर केंद्र द्वारा जोर दिया गया। बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, ‘हम जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जम्मू और कश्मीर के भविष्य पर चर्चा की गई और परिसीमन अभ्यास और शांतिपूर्ण चुनाव संसद में किए गए वादे के अनुसार राज्य का दर्जा बहाल करने में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं।’
आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार हुई बैठक
बता दें कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हो हटाए जाने के ऐतिहासिक फैसले के बाद केंद्र और जम्मू-कश्मीर के नेताओं के बीच यह पहली बैठक थी। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
बता दें कि केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनते हुए, अनुच्छेद 370 को निरस्त कर राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। इस फैसले के बाद कश्मीर में कई राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया था। हालात सुधरता देख सरकार ने सभी नेताओं से प्रतिबंध हटाए और उन्हें नजरबंद से भी मुक्त किया।
गुप्कर गठबंधन को लद्दाख पर बोलने का अधिकार नहीं
पीएम मोदी की जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग हुई बैठके के कुछ देर बाद लद्दाख के सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने ट्वीट कर कहा था कि गुप्कर गठबंधन को लद्दाख के लोगों की ओर से बोलने का अधिकार नहीं है। बता दें कि 18 अगस्त 2019 को, लद्दाख के नेताओं ने केंद्र से अपनी पहचान बनाए रखने के लिए इस क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची के तहत एक आदिवासी क्षेत्र घोषित करने का अनुरोध किया। नामग्याल ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को पत्र लिखकर कहा कि लद्दाख आदिवासी बहुल्य क्षेत्र है, जिसमें आदिवासियों की आबादी 98 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, ‘लद्दाख में आदिवासी समुदाय अपनी पहचान, संस्कृति, भूमि और अर्थव्यवस्था की रक्षा के बारे में सबसे अधिक चिंतित हैं क्योंकि केंद्र ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला किया।’ उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत इसे आदिवासी क्षेत्र घोषित किया जाए।