अफगानिस्तान में तालिबान युग की वापसी हो गई है. अफगान सरकार ने पूरी तरह से तालिबान के आगे घुटने टेक दिए हैं. तालिबान को सत्ता सौंपने के लिए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है. वे अफगान से ताजिकिस्तान चले गए हैं. बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. तालिबानी लड़ाके काबुल के कुछ हिस्सों में भी घुस आए हैं. तालिबान के नेताओं ने कहा कि हमारे लड़ाके काबुल में लूट अराजकता को रोकने के लिए घुस रहे हैं.
100 से अधिक दिनों से जारी संघर्ष के बाद तालिबान ने अफगान पर अपना अधिकार जमा लिया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, तालिबान कमांडरों का कहना है कि उन्होंने अफगान राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है. खबर आ रही है कि राष्ट्रपति निवास के बाद तालिबानी आतंकियों ने NDS जेल पर भी कब्जा करके कैदियों को रिहा कर दिया. तालिबानियों के बढ़ते दबाव के बीच अफगान से बाहरी लोगों के निकलने की होड़ मच गई है.
आपको बता दें कि साल 2002 से पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान को कब्जे में लिया था, आतंकवादियों ने शरिया कानून के एक संस्करण का अभ्यास किया, जिसमें व्यभिचार करने पर पत्थर मारना, चोरी करने पर अंगों को काटना 12 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना शामिल था. तालिबान के एक अधिकारी को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि इस तरह की सजा देने का निर्णय अदालतों पर निर्भर होगा.
तालिबान ने हाल के दिनों में जिन क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है, उन क्षेत्रों की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि महिलाओं को पहले से ही बिना पुरुष साथी के अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है कुछ महिला कर्मचारियों को बताया गया था कि उनकी जगह नौकरी अब पुरुष करेंगे. इन इलाकों की महिलाओं को भी बुर्का पहनने को कहा जा रहा है.
इससे पहले, एक रिपोर्ट में कहा गया था कि तालिबान के एक प्रवक्ता ने कसम खाई है कि आतंकवादी महिलाओं प्रेस के अधिकारों का सम्मान करेंगे. तालिबान के रविवार के बयानों का उद्देश्य वैश्विक चिंता को शांत करना प्रतीत होता है. प्रवक्ता ने कहा कि महिलाओं को अकेले घर से बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी शिक्षा व काम तक उनकी पहुंच बनी रहेगी.