हिंदू धर्म में दान का बहुत महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे पुण्य मिलता है। दान देना सरल है लेकिन शक्तिशाली माना जाता है। सनातन धर्म में पांच अलग-अलग प्रकार के दान का उल्लेख है जो किसी व्यक्ति का लाभ के साथ कल्याण कर सकता हैं व भौतिक सुख प्रदान कर सकता हैं और उन्हें भगवान के करीब ला सकता हैं अत: इन पांच प्रकार के दान को विस्तार से समझना आवश्यक है।
गौ दान- सनातन धर्म के अनुसार गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए गाय का दान करना व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याओं का समाधान माना जाता है। इसके अलावा गाय का दान करने से व्यक्ति की आने वाली पीढ़ियों को भी परेशानियों से बचाया जा सकता है। जो व्यक्ति गाय का दान करता है, वह अपने पूर्वजों को भी जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिला सकता है, जिसके परिणामस्वरूप एक खुशहाल और संतुष्ट पारिवारिक जीवन जीता है।
अन्न दान- अन्न दान का तात्पर्य भूखे लोगों को भोजन प्रदान करने के कार्य से है ऐसा माना जाता है कि भोजन दान से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है और दान देने वाले के घर में हमेशा धन-धान्य की प्रचुरता बनी रहती है। इसके अतिरिक्त भोजन दान करने से दानकर्ता और उसके पूरे परिवार को मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा भगवान विष्णु की कृपा से अन्नदाता का घर किसी भी प्रकार के संकट से मुक्त रहता है।
विद्या दान- विद्या दान जिसे दान का सर्वोच्च रूप माना जाता है न केवल धार्मिक पहलुओं में बल्कि सामाजिक पहलुओं में भी महत्व रखता है। ज्ञान दान करने से समाज को लाभ मिलता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ज्ञान प्रदान करने वालों पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है। इसके अतिरिक्त उस घर का प्रत्येक सदस्य ज्ञान की शक्ति के माध्यम से जीवन में महान प्रगति की ओर बढ़ता है।
कन्या दान- कन्या दान महादान माना जाता है और इसे दान का सबसे महत्वपूर्ण प्रकार माना गया है। इसमें दुल्हन के माता-पिता को शादी समारोह के दौरान उसे विदा करना होता है। ऐसा माना जाता है कि यह कार्य माता-पिता को उनकी मृत्यु के बाद मोक्ष दिलाता है और लड़की के घर में देवी लक्ष्मी की उपस्थिति सुनिश्चित करता है।
भूमि दान- प्राचीन काल में भूमि दान करने की प्रथा अधिक प्रचलित थी। राजा बलि ने भी भगवान विष्णु के वामन अवतार को भूमि दान में दी थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भगवान विष्णु से प्रचुर आशीर्वाद प्राप्त हुआ। ऐसा माना जाता है कि जब आश्रम, विद्यालय, भवन, धर्मशाला, प्याऊ, गौशाला आदि की स्थापना के लिए भूमि दान की जाती है, तो इससे दानकर्ता के घर में सुख और समृद्धि आती है।